८ मुखी रुद्राक्ष के महत्त्व, लाभ एवं धारण मंत्र

८ मुखी रुद्राक्ष

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष

८ मुखी रुद्राक्ष आठ दिशाओं और आठ सिद्धियों का नेतृत्व करता है। वैसे तो आठ मुखी रुद्राक्ष भगवान गणेश और भैरव बाबा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रुद्राक्ष में साक्षात माँ गंगा का वास होता है इसलिए इस रुद्राक्ष को पहनने से गंगा में नहाने जैसा पुण्य मिलता है। आठ मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह राहु है।

मान्यता है कि पूरे विधि-विधान और पवित्र कर पहने गए इस रुद्राक्ष से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं। इस रुद्राक्ष को सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन पहनना शुभ माना जाता है। इस रुद्राक्ष का स्वामी गृह राहु है इसलिए इस रुद्राक्ष के धारक के राहु दोष दूर होते है। शास्त्रों के अनुसार जिस तरह हर पूजा से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा की जाती है, उसी तरह इस रुद्राक्ष को बिना किसी संकोच या जानकारी के भी धारण किया जा सकता है।

यह रुद्राक्ष आठ पहाड़ों की तरह है और इसमें पहाड़ों की शक्ति है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को उचित सिद्धि (मंत्र के साथ शुद्धिकरण और चार्ज करने की विधि) के बाद पहनता है, वह सभी आठ प्रहर (दिन के 24 घंटे) प्रहर नामक आठ भागों में विभाजित हो जाता है और सभी सुख प्राप्त कर लेता है।

यह रुद्राक्ष सात शक्ति यानि सुमेरु में सबसे ऊंचा है। इस रुद्राक्ष को पहनने वाले को सभी उपक्रमों में सफलता मिलती है। यदि इस रुद्राक्ष का उपयोग दो पारा गेंदों के साथ किया जाता है; यह बुद्धि को बढ़ाएगा और धन और धन के नए अवसरों को खोलेगा।

8 मुखी (आठ मुखी) रुद्राक्ष का सत्तारूढ़ ग्रह राहु है इसलिए यह पुरुषोचित प्रभाव को बढ़ाने में सहायक है। राहु का पुरुषार्थ प्रभाव शनि या शनि के समान है। 8 मुखी रुद्राक्ष मनके से चरित्र और मन की शक्ति बढ़ती है और खुशी, प्रसिद्धि, अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है।

८ मुखी रुद्राक्ष के महत्त्व:

 ८ मुखी रुद्राक्ष  के  महत्त्व:


१. शनि और राहु ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करता है।
२. ऐसा माना जाता है की इस रुद्राक्ष के धारक को स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
३. आठ मुखी रुद्राक्ष धारक गंध और दीक्षा की शक्ति देता है।
४. यह रुद्राक्ष धारक को भगवान गणेश के नजदीक ले जाता है तथा उच्च बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद देता है।

मुखी रुद्राक्ष के लाभ (8 mukhi rudraksha benefits)

  • राहू के बुरे प्रभावों से बचने के लिए इस रुद्राक्ष को पहनने की सलाह दी जाती है। अगर कोई व्‍यक्‍ति इसे पहनता है तो उस पर राहू की कुदृष्टि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • अकाल मृत्‍यु और कई तरह के भय से भी मुक्‍ति मिलती है।
  • माना जाता है कि जो भी व्‍यक्‍ति आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करता है उसे मृत्‍यु के उपरांत भगवान शिव का साथ मिलता है।
  • ज्ञान, सम्‍मान और शक्‍ति पाने के लिए भी इसे पहन सकते हैं।
  • आठ मुखी रुद्राक्ष अपने पहनने वाले के जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
  • यह समग्र सफलता सुनिश्चित करता है और पहनने वाला कभी भी अपने विरोधियों से हार का सामना नहीं करता है।
  • राहु के ग्रह प्रभाव इस मनके द्वारा ठीक हो जाते हैं और इसलिए यह रहस्यमय प्रकार के रोगों में सहायक है और प्राचीन
  • वैदिक ग्रंथों के अनुसार बुरी आत्माओं के खिलाफ एक कवच प्रदान करता है। सर्प दंश भी राहु के पुरुष प्रभाव का परिणाम है और यह रुद्राक्ष ऐसे मामलों में भी सहायक है।
  • प्राचीन वैदिक ग्रंथों के अनुसार, यह रुद्राक्ष दु: स्वप्न, त्वचा रोग और फेफड़े, पैर, त्वचा और हाइड्रोसिओल के रोगों को ठीक करने में बहुत मददगार बताया गया है।
  • बार-बार विफल होने के कारण यह पहनने वाले को तनाव और चिंता से बचाता है। यह रुद्राक्ष उन लोगों के लिए भी बहुत अच्छा है, जिनकी कुंडली में “सर्प दोष” (5 वें घर में ग्रह राहु) है।
  • एक आठ मुखी रुद्राक्ष मोटे तौर पर ज्योतिषियों द्वारा उपयोग किया जाता है और जो लोग भोग में रुचि रखते हैं क्योंकि यह उनके लिए बहुत अच्छा है।

8 मुखी रुद्राक्ष के चिकित्स्कीय लाभ:

 ८ मुखी रुद्राक्ष  के  महत्त्व:


१. यह रुद्राक्ष मानसिक सुस्ती को दूर कर के धारक को अधिक सक्रिय करता है।
२. आठ मुखी रुद्राक्ष पैरो और हड्डियों की परेशानियों को दूर करता है।
३. मोटापा दूर करता है।
४. आठ मुखी रुद्राक्ष त्वचा एवं फेफड़ो की बीमारियों को दूर करता है।
५. आठ मुखी रुद्राक्ष धारक को तनाव और चिंताओं से मुक्त करता है।

राशि विशेष:
हर राशि के जातक के लिए उत्तम माना जाता है।

मुखी रुद्राक्ष मन्त्र:

 ८ मुखी रुद्राक्ष  के  महत्त्व:


८ (8 ) मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र है: “ॐ हूं नमः”

इस रुद्राक्ष को साथ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करना अति शुभ माना गया है, ७ मुखी रुद्राक्ष माँ लक्ष्मी का प्रतीक है, इसलिए सात और आठ मुखी रुद्राक्ष को एक साथ धारण करने की सलाह दी जाती है।

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